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कहीं मिलूँ तो बताना

मैं कहीं खोया हुआ हूँ . कहीं मिलूँ तो बताना 
मैं सोया हुआ हूँ बीते कुछ सालों से 
बुद्ध बनकर आना मेरी सुप्त चेतना को जगाना 
मैं खोया हुआ हूँ, हाँ देह में ही
उसे दिखाकर मुझे फिर मत रिझाना 
हो सके तो मेरे मन को छूना और तृप्त कर जाना
मैं अगर कहीं मिलूँ तो बताना
मैं वो नहीं जो कहा गया और सुनाया गया
अभी कई प्रषट् है जिन्हें कभी पढ़ा ही नहीं गया
उन्हें एक एक करके पढ़ना तसल्ली के साथ
फिर मुझे समझाना, मेरी कुछ ग़लतियाँ और नादानियाँ भी बता देना
एक नया पाठ सिखा देना
मैं कहीं मिलूँ तो बताना

वैसे तो एक दर्पण है मेरे पास,मैं ख़ुद को देख पाता हूँ
कहीं कहीं चमक भी है और कही दाग़ धब्बे भी है
मैं दोनो में साफ़ फ़र्क़ कर पाता हूँ
मुझे मंज़िलो का भी पता रहा और रास्तों का भी
पर साथ में इंतज़ार भी रहा एक फ़रिश्ते का 
कहीं मिले तो बताना
शायद साथ में हम थोड़ा और ऊँचा उड़ पाते नए आसमान को छू पाते
मैं सब छोड़ तुम्हारी तलाश में निकला
और मंज़िले बुरा गयी
कुछ पंख टूट गये और हम ख़ुद से थोड़ा दूर हो गए
अगर कहीं फिर से मैं आत्मविश्वास
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